Market Stabilization Scheme (MSS)
2003 में डॉलर एक्सचेंज रेट में अस्थिरता के कारण रुपया कमजोर हो गया था , तब RBI ने डॉलर खरीदने शुरू किया। RBI ने अपने securities को बेच कर डॉलर ख़रीदने चालू कर दिया था। एक टाइम ऐसा आया की RBI के पास कुछ भी सिक्योरिटीज नहीं थी।
और अगर RBI डॉलर नहीं खरीदती तो रूपये की कीमत कम हो सकती थी। तब Market में पैसों की Liquidity रखने के लिए 2004 में RBI ने सरकार से एक अनुबंध किया और एक नयी स्कीम लायी गयी।
इस स्कीम के अनुसार RBI सरकार के नाम से Government Securities जारी कर सकती थी।
इस स्कीम के अनुसार RBI सरकार के नाम से Government Securities जारी कर सकती थी।
इस स्किम को Market Stabilization Scheme कहा गया।
इसको इस तरह से समझा जा सकता है
माना कि सरकार को 100 करोड़ चाहिए तब सरकार 100 करोड़ की government securities जारी करेगी। RBI सरकार को 100 करोड़ देकर ये securities खरीद लेगी।
और सरकार के नाम से ये market में money supply को control करने के लिए इस्तेमाल करेगी।
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Money Supply to control Inflation/Deflation |
1 साल बाद सरकार ये securities खरीदकर RBI को 100 करोड़ को 10% ब्याज के साथ वापिस कर देगी।
यह सब खेल सरकार की जरुरत के हिसाब से होता हैं। इस दौरान अगर सरकार को पैसों की जरुरत न हो RBI को Securties नहीं मिलेंगी और RBI system में Money Supply Control कर नहीं पाएगी।
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Market Stabilization Scheme |
तब Market में पैसों की Liquidity रखने के लिए 2004 में RBI ने सरकार से एक अनुबंध किया और Market Stabilization Scheme लायी गयी।
इस अनुबंध के अनुसार RBI मार्किट में नए Government Securities को ला सकती है जिस पर मिले पैसों को सरकार के खर्चे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था पर सरकार को उस पर ब्याज देना होगा।
इन लायी गयी नयी Government Securities को Market Stabilization Scheme कहा गया जो Market को Stabilize करने के लिए इस्तेमाल होती हैं
इस अनुबंध के अनुसार RBI मार्किट में नए Government Securities को ला सकती है जिस पर मिले पैसों को सरकार के खर्चे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था पर सरकार को उस पर ब्याज देना होगा।
इन लायी गयी नयी Government Securities को Market Stabilization Scheme कहा गया जो Market को Stabilize करने के लिए इस्तेमाल होती हैं
Market Stabilization Scheme में केवल Market के Excess Money को विभिन्न प्रकार के bonds के द्वारा Market से बाहर निकला जाता है। इस चित्र में विभिन्न प्रकार के bonds दिखाए गए है जो Market Stabilization Scheme के अंतर्गत Use किया जाता है
ये बांड्स discount पर बेचे जाते है और “FACE Value” पर ख़रीदे जाते हैं।
MSS का लिमिट 30K करोड़ था पर नोटबंदी के बाद (अर्थात 10 Dec'16) के बाद Excess Money को MSS के द्वारा सिस्टम से बाहर निकाला निकला ताकि महगाई न बढे
MSS की लिमिट को नोटबंदी के दौरान ६ लाख करोड़ तक बढ़ा दिया गया था।
MSS का लिमिट 30K करोड़ था पर नोटबंदी के बाद (अर्थात 10 Dec'16) के बाद Excess Money को MSS के द्वारा सिस्टम से बाहर निकाला निकला ताकि महगाई न बढे
MSS की लिमिट को नोटबंदी के दौरान ६ लाख करोड़ तक बढ़ा दिया गया था।
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Market Stabilization Scheme during Demonetization |
Aapka samjhane ka tareeka kaafi accha hai
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