Qualitative Tools of Monetary Policy
Quantitative Tools की सहायता से Credit Volume को कंट्रोल किया जाता हैं
और Qualitative Tools से Credit Distribution को कंट्रोल किया जाता है।
Selective या Direct Tools भी कहा जाता हैं क्योंकि इन tools की सहायता से किसी विशेष segment को कंट्रोल कर सकते हैं और इन tools का action सीधा होता हैं
1951 से 1968 तक यह देखा गया कि बैंक द्वारा जो लोन दिया जा रहा था उसमें अधिकतम लोन प्रभावशाली लोगों को ही दिया जा रहा था। किसान लोग या जरूरत मंद लोग लोन के लिए वंचित हो रहे था । इस कारण से 1969 में बेंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया ।
जब पाँच वर्षीय योजना के अंतर्गत PSU बनाए गए तो तब भी Raw Materials, Machines आदि को private Sector से ही खरीदा जाता थे। और इन सब के लिए ये सब उधोगपति बैंक से लोन लेते थे ।
और ये भी पाया गया कि बैंक के बोर्ड में उधोगपति ही होते थे । 1963 में 188 लोग बैंक के बोर्ड में थे और ये ही लोग 1452 कंपनी के director होते थे ।
इस वजह से अधिकतम loans उधोयपति को ही जा रहे थे । इस तरह से एक चक्र सा बन गया था और इस चक्र को तोड़ना जरूरी था ।
इसके अलावा 60 के दशक में Green Revolution आना था जिसके लिए किसानों को लोन दिये जाने की आवश्यकता थी ताकि किसान लोग उन पैसों से खाद, बीज, और जरूरी समान खरीद सकें जो Green Revolution के लिए आवश्यक था
उस समय RRB भी अस्तित्व में नहीं था और Cooperative Societies इन सब loan देने के लिए काफी नहीं थे
इस कारण से 1968 में PSL शब्द सज्ञान में आया और 1969 में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया ।
बैंक अब भी लोन देने में आना कानी कर रहे थे क्योंकि उनको डर था कि उनका दिया पैसा वापिस नहीं मिल पाएगा ।
उपर्युक्त कारण से 1971 में Credit Guarantee Cooperation of India Ltd प्रकाश में आया जिसका काम था कि PSL के अंतर्गत के दिये जाने वाले लोन की Guarantee देना।
Foreign Banks जिनकी भारत में 20 से ज्यादा ब्रांच हैं उनको भी 40% PSL लोन देना होता हैं। और जिन Foreign bank की 20 से कम Branch होती हैं उनको भी Phaswise PSL लोन देना होगा । दोनों का PSL लोन का नियम इस प्रकार से होगा :
PSL के अंतर्गत निम्न Category में लोन देना होता हैं :
Foreign banks जिनकी 20 से ज्यादा ब्रांच हैं उनके लिए निम्न नियम हैं जो 1 अप्रैल 2015 से संशोधित किया गया हैं -
और जिन Foreign banks की 20 से कम ब्रांच हैं उनके लिए निम्न नियम लागू होता हैं :
अगर किसी कारण वश PSL Targets पूरे नहीं होते पाते हैं तब निम्न प्रकार से PSL के पैसों का निपटारा किया जाता हैं :
E-Kuber:
माना दो banks हैं , एक बैंक ने 18 करोड़ का PSLलोन दिया था जबकि उसे 16 करोड़ ही लोन देना था
और ICICI ने 14 करोड़ ही लोन दिये जबकि उसे 16 करोड़ लोन देना था , तब ICICI , SBI से 2 करोड़ की PSL लोन के Bonds खरीद लेगा और इस तरह से ICICI के PSL targets भी पूरे हो जाएँगे ।
इन बोण्ड्स के बदले ICICI कुछ ब्याज SBI को दे देगा , इस तरह से SBI का भी एक फाइदा होगा ।
तो E -Kuber , RBI का एक Platform हैं जिस पर इस तरह के transactions होते हैं ।
E-Kuber में निम्न प्रकार के PSL segments के transactions होते हैं :
और E-Kuber में निम्न banks भाग ले सकते हैं
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Monetary Policy |
Quantitative Tools की सहायता से Credit Volume को कंट्रोल किया जाता हैं
और Qualitative Tools से Credit Distribution को कंट्रोल किया जाता है।
Selective या Direct Tools भी कहा जाता हैं क्योंकि इन tools की सहायता से किसी विशेष segment को कंट्रोल कर सकते हैं और इन tools का action सीधा होता हैं
1951 से 1968 तक यह देखा गया कि बैंक द्वारा जो लोन दिया जा रहा था उसमें अधिकतम लोन प्रभावशाली लोगों को ही दिया जा रहा था। किसान लोग या जरूरत मंद लोग लोन के लिए वंचित हो रहे था । इस कारण से 1969 में बेंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया ।
जब पाँच वर्षीय योजना के अंतर्गत PSU बनाए गए तो तब भी Raw Materials, Machines आदि को private Sector से ही खरीदा जाता थे। और इन सब के लिए ये सब उधोगपति बैंक से लोन लेते थे ।
और ये भी पाया गया कि बैंक के बोर्ड में उधोगपति ही होते थे । 1963 में 188 लोग बैंक के बोर्ड में थे और ये ही लोग 1452 कंपनी के director होते थे ।
इस वजह से अधिकतम loans उधोयपति को ही जा रहे थे । इस तरह से एक चक्र सा बन गया था और इस चक्र को तोड़ना जरूरी था ।
इसके अलावा 60 के दशक में Green Revolution आना था जिसके लिए किसानों को लोन दिये जाने की आवश्यकता थी ताकि किसान लोग उन पैसों से खाद, बीज, और जरूरी समान खरीद सकें जो Green Revolution के लिए आवश्यक था
उस समय RRB भी अस्तित्व में नहीं था और Cooperative Societies इन सब loan देने के लिए काफी नहीं थे
इस कारण से 1968 में PSL शब्द सज्ञान में आया और 1969 में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया ।
बैंक अब भी लोन देने में आना कानी कर रहे थे क्योंकि उनको डर था कि उनका दिया पैसा वापिस नहीं मिल पाएगा ।
उपर्युक्त कारण से 1971 में Credit Guarantee Cooperation of India Ltd प्रकाश में आया जिसका काम था कि PSL के अंतर्गत के दिये जाने वाले लोन की Guarantee देना।
PSL = Priority Sector Lending
RBI ने दिये जाने वाले लोन का कुछ percentage PSL में देने का प्रावधान किया है जिसके अनुसार एक बैंक को एक साल में दिये जाने वाले लोन का कुछ पर्सेंटेज PSL में देना होता हैं
RBI ने दिये जाने वाले लोन का कुछ percentage PSL में देने का प्रावधान किया है जिसके अनुसार एक बैंक को एक साल में दिये जाने वाले लोन का कुछ पर्सेंटेज PSL में देना होता हैं
हर बैंक द्वारा दिये जाने वाले लोन का PSL में Percentage इस प्रकार से होगा :
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Priority Sector Lending Rates for Different Type of Banks |
Foreign Banks जिनकी भारत में 20 से ज्यादा ब्रांच हैं उनको भी 40% PSL लोन देना होता हैं। और जिन Foreign bank की 20 से कम Branch होती हैं उनको भी Phaswise PSL लोन देना होगा । दोनों का PSL लोन का नियम इस प्रकार से होगा :
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Priority Sector Lending Rates for Different Type of Banks |
PSL के अंतर्गत निम्न Category में लोन देना होता हैं :
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PSL Loan Category Wise |
Foreign banks जिनकी 20 से ज्यादा ब्रांच हैं उनके लिए निम्न नियम हैं जो 1 अप्रैल 2015 से संशोधित किया गया हैं -
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PSL Categories for Foreign Banks |
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PSL Categories for Foreign banks |
अगर किसी कारण वश PSL Targets पूरे नहीं होते पाते हैं तब निम्न प्रकार से PSL के पैसों का निपटारा किया जाता हैं :
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If PSL Targets are not Met |
कुछ बैंकों की गाँव में branch कम होती हैं जिस कारण से इन बैंक का PSL target पूरे नहीं हो पाते हैं ।
इस संदर्भ में E - Kuber की सुविधा दी गयी हैं
इस संदर्भ में E - Kuber की सुविधा दी गयी हैं
माना दो banks हैं , एक बैंक ने 18 करोड़ का PSLलोन दिया था जबकि उसे 16 करोड़ ही लोन देना था
और ICICI ने 14 करोड़ ही लोन दिये जबकि उसे 16 करोड़ लोन देना था , तब ICICI , SBI से 2 करोड़ की PSL लोन के Bonds खरीद लेगा और इस तरह से ICICI के PSL targets भी पूरे हो जाएँगे ।
इन बोण्ड्स के बदले ICICI कुछ ब्याज SBI को दे देगा , इस तरह से SBI का भी एक फाइदा होगा ।
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E-Kuber Platform Working |
तो E -Kuber , RBI का एक Platform हैं जिस पर इस तरह के transactions होते हैं ।
E-Kuber में निम्न प्रकार के PSL segments के transactions होते हैं :
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PSL Segments Transactions in E- Kuber |
और E-Kuber में निम्न banks भाग ले सकते हैं
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Types of Banks for E-Kuber Transaction |
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