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Wednesday, August 29, 2018

Qualitative Tools of Monetary Policy: LTV, Margin, Customer Credit Control. Moral Suasion, Direct Action

1. Loan To Value Ratio :

अगर बैंक को कोई लोन देना हैं तो बैंक कुछ गिरवी रककर लोन देता हैं। माना किसी ग्राहक के पास 1 करोड़ का गोल्ड हैं और उसे लोन चाहिए तो बैंक उसे गोल्ड की value का कुछ percentage ही लोन दे सकती हैं ।

माना की बैंक को 60% लोन ही देने की छूट हैं तो 

60% of 1करोड़ = 60 लाख 

इस तरह से बैंक केवल 60 लाख लोन ही दे सकती हैं 

अगर LTV की सहायता से मंदी (Recession) को काबू करना हैं तो बैंक को LTV को बढ़ाना होगा 

माना की अभी 80% LTV कर दिया तब इस तरह से 

80% of 1 करोड़ = 80 लाख 

इस तरह से बैंक अब 60 लाख की जगह से 80 लाख लोन दे सकता हैं , इस तरह से ग्राहक के पास अधिक पैसा आएगा तो वो अधिक खर्चा करेगा और इस तरह से मंदी को काबू कर सकते हैं 

और अगर महंगाई को काबू करना हैं तो LTV को कम करना होगा 

2. Margin: 

एक बैंक के पास लोन देने के लिए एक नियम होता हैं कि बैंक अपना margin रखकर आगे लोन देती हैं । 

बैंक securities का कुछ percentage ही लोन दे सकती हैं , उसे margin कहते हैं। 

माना कि पहले securities का 60% लोन दे सकते थे 

और अब securities का 80% लोन कर दिया तो 

अधिक लोन दे सकेंगे और customers अधिक पैसे खर्च सकेंगे >> इस तरह से मंदी कम हो जाएगी 

और इसका उल्टा करने पर महंगाई पर काबू किया जा सकता हैं 

3. Customer Credit Control 

customer की credit को control करने से भी महंगाई या मंदी को काबू किया जा सकता हैं 

माना कि अगर किसी को कार खरीदनी हैं तो उसको कुछ down payment करना होता हैं 

अमूमन Down Payment 20% रहता हैं इसका मतलब customer को 20% कार के लिए pay करना होता हैं और बाकी बॅक से लोन होता हैं 

अगर Down Payment 15% कर दिया तो customer को कम पैसे देने होंगे, इस तरह से लोग अधिक कार खरीदेंगे और मंदी को काबू कर सकते हैं 

और इसका उल्टा करने पर महंगाई पर काबू किया जा सकता हैं यानि कि Down Payment को अगर बढ़ा देंगे तो लोग कार कम खरीदेंगे 

इस तरह से महंगाई को कम किया जा सकता हैं 


4. Moral Suasion (नैतिक दबाब)

इसमें RBI बाकी बेंकों से यह उम्मीद करती हैं कि जब हमने Policy Rate etc कम किया हैं तो आप भी अपने लोन के रेट कम करने चाहिए । 

नैतिक दबाब 

यह सामान्यतः बिना दबाब के किया जाता हैं । इसके लिए conference, informal meeting , lecture, training , convocations, Seminars आदि का सहारा लिया जाता हैं 

5. Direct Action 

इसमें RBI बाकी बैंक पर direct action लेती हैं

RBI Direct Action


जैसे अगर किसी बैंक ने Repo , Reverse Repo etc नियमित नहीं रखा तो RBI उस बैंक पर जुर्माना लगाती हैं ।

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